रॉनी चाचू के पास आकर रोने लग गया था। उसका बालमन आहत था। रॉनी चाचू के पास आकर रोने लग गया था। उसका बालमन आहत था।
प्रतीक के पिताजी अपनी मृत्यु के बाद नेत्रदान की इच्छा जाहिर की थी। प्रतीक के पिताजी अपनी मृत्यु के बाद नेत्रदान की इच्छा जाहिर की थी।
और उसके मीठे स्वाद ने उसकी खुशी दुगुनी कर दी। और उसके मीठे स्वाद ने उसकी खुशी दुगुनी कर दी।
अचानक उसके मन में ख्याल आया कि काश पैसों के पेड़ होते अचानक उसके मन में ख्याल आया कि काश पैसों के पेड़ होते
इस जीत और सफलता से वह बेहद प्रसन्न था, उसका सपना जो पूरा हो गया। इस जीत और सफलता से वह बेहद प्रसन्न था, उसका सपना जो पूरा हो गया।
अब वह लोगों के ताने मारने पर गुस्सा नहीं होती थी बल्कि मुस्कुरा देती थी। अब वह लोगों के ताने मारने पर गुस्सा नहीं होती थी बल्कि मुस्कुरा देती थी।